प्रिंट ऑन डिमांड क्या है? प्रिंट ऑन डिमांड कैसे काम करता है?Top Print on Demand Wbsites in india
प्रिंट ऑन डिमांड क्या है और प्रिंट ऑन डिमांड कैसे काम करता है?
POD क्या है?
print on demand क्या है?
प्रिंट ऑन डिमांड काम कैसे करता है?
ये Popular क्यों हो रही है?
इसकी मांग क्यों बढ़ रही हैं?
Full form of POD-(Print on Demand)
Print on Demand को Podcast on Demand भी कहते हैं। अगर आसान भाषा में कहे तो जो पुस्तक , कपड़े जैसे T-shirt, shirt, Mug, अन्य जेसे Product होते हैं। इन Product में प्रिंट फोटो या Text को Customer के मांग हिसाब से Design करके उस product की कीमत पहले से अधिक में बेचना ये मतलब उस Product की कीमत है ₹150 तो customer की मांग के मुताबिक design करके उसे ₹200 में बेचना। आइए और बारीकी से समझते हैं।
PRINT ON DEMAND (POD) एक Digital Printing Technique है जो जरूरत पड़ने पर पुस्तकों तथा पत्रिकाओं, कपड़ों और अन्य को कम मात्रा में Print करने में सक्षम बनाती है। इस तकनीक (Technique) ने लेखकों, प्रकाशकों और अन्य सामग्री निर्माण करने वालों के लिए बड़े Print-run में निवेश (investment) किए बिना अपने उत्पादों को print करना और बेचना संभव बनाकर प्रकाशन उद्योग में क्रांति ला दी है।
पारंपरिक प्रकाशन मॉडल के लिए लेखकों को कोई भी
Templete का उपयोग करके किसी Text या (image) की अनेक प्रतियाँ बनाना printing प्रक्रिया में महत्वपूर्ण समय और धन का खर्च (investment) करने की आवश्यकता होती है। उन्हें अपनी किताबें लिखनी थीं, एक प्रकाशक यानी (Publisher) को सुरक्षित करना था, और फिर किताब को बेचने से पहले बड़ी मात्रा में छपने का इंतज़ार करना था। इसका मतलब यह था कि लेखकों को छपाई प्रक्रिया में पहला रूप से निवेश (invest) करके एक महत्वपूर्ण आर्थिक (financial) जोखिम उठाना पड़ा, लेकिन हां इस बात की कोई गारंटी नहीं थी कि उनकी पुस्तक बिकेगी।
POD Technique तकनीक ने वह सब बदल दिया है। POD के साथ, लेखक सबसे कम-से-कम का पहला खर्च के साथ अपनी पुस्तकें लिख और (publish) कर सकते हैं, और फिर अपनी पुस्तकों को मांग पर प्रिंट और बेच सकते हैं। इसका मतलब यह है कि लेखकों को अब अपनी पुस्तक की बहुत अधिक कॉपी (copies) छापने और बिना बिके वस्तु-सूची के साथ रहने के बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। इसके बजाय, जब उन्हें उनकी आवश्यकता होती है, तब वे केवल उतनी ही Copies छपाई कर सकते हैं जितनी उन्हें आवश्यकता होती है।
अपना Publisher के ऊपर लाने के कारण हाल के वर्षों में POD Technology तेजी से लोकप्रिय पसंदीदा हो गई है। POD के साथ, अपनी publisher पहले से कहीं अधिक सुलभ और सस्ता हो गया है। लेखक अब फैलाने की प्रक्रिया को पूरी तरह से बायपास कर सकते हैं और अपनी पुस्तकों को स्वतंत्र रूप से publish कर सकते हैं। इससे फैलाने का निर्माण का लोकतांत्रीकरण हुआ है, जिससे और अधिक लेखकों को दुनिया में अपना काम निकालने की अनुमति मिली है।
आइए जानते हैं:
How does Work Print on Demand (प्रिंट ऑन डिमांड काम कैसे करता है?
प्रिंट ऑन डिमांड Technology Digital प्रिंटिंग प्रेस का उपयोग करके किताबों और अन्य सामग्रियों को प्रिंट करने के लिए काम करती है, जब उनकी आवश्यकता होती है। यह पारंपरिक offset printing के विपरीत है, जिसके लिए प्रिंटिंग plates बनाने की आवश्यकता होती है और बड़े प्रिंट पहले से तैयार किए जाते हैं।
POD के साथ, पुस्तकें एक डिजिटल फ़ाइल का उपयोग करके छपाई की जाती हैं, जिसे सीधे Printing press में भेजा जाता है। इस फ़ाइल में पुस्तक, कपड़ों जैसे Tshirt को प्रिंट करने के लिए आवश्यक सभी जानकारी शामिल है, जिसमें Cover, Text और कोई फोटो या Graphics शामिल हैं। फिर Printing Press में जो आप चाहते हो इच्छित Format में पुस्तक, कपड़ा को Print करता है, चाहे वह Hardcover, Softcover या E-book हो।
क्योंकि POD तकनीक डिजिटल है, यह छपाई प्रक्रिया में अधिक लचीलेपन की अनुमति देती है। लेखक किसी भी समय अपनी पुस्तक, कपड़ों में परिवर्तन कर सकते हैं और प्रिंटिंग प्रेस में एक नई File Upload कर सकते हैं। इसका मतलब यह है कि पुस्तकों को पारंपरिक छपाई विधियों की तुलना में कहीं अधिक आसानी से Updates और अच्छी तरह से साफ़ किया जा सकता है।
Advantage of Print on Demand
(प्रिंट ऑन डिमांड के फायदे):
विकसित यानी फैलाने के लिए Print on demand Technique का उपयोग करने के कई फायदे हैं। यहाँ कुछ प्रमुख लाभ दिए गए हैं:-
1. No investment (इसमें कोई खर्च नहीं):
POD के साथ, बड़े print-run में खर्च investment करने की कोई आवश्यकता नहीं है। लेखक केवल उतनी ही पुस्तकें या कपड़ों में छाप सकते हैं, जितनी उन्हें आवश्यकता हो, जब उन्हें उनकी आवश्यकता हो। इसका मतलब है कि वे अपने काम को कम से कम आर्थिक (financial), जोखिम के साथ Publish कर सकते हैं।
2. Greater flexibility (अधिक लचीलापन):
क्योंकि POD Digital है, यह छपाई प्रक्रिया में अधिक लचीलेपन की अनुमति देता है। लेखक किसी भी समय अपनी पुस्तक में परिवर्तन कर सकते हैं और Printing-press में एक नई File Upload कर सकते हैं। इसका मतलब यह है कि पुस्तकों, कपड़ों को पारंपरिक छपाई विधियों की तुलना में कहीं अधिक आसानी से Updates और शुद्ध किया जा सकता है।
3. Lower printing costs (कम छपाई लागत):
क्योंकि POD को बड़े print-run की आवश्यकता नहीं होती है, यह छपाई विधियों की तुलना में अक्सर ज्यादा लागत बदलाव होती है। मतलब इसमें कोई कपड़े की Tshirt की कीमत है ₹150 तो उसे ₹200 में बेचना यह छोटे प्रकाशकों यानी Publishersऔर अपने published लेखकों के लिए विशेष रूप से सच है, जिनके पास बड़े प्रिंट रन में खर्च invest करने के लिए संसाधन नहीं हो सकते हैं।
4. Reduced waste (कम कचरा):
क्योंकि किताबें तथा अन्य कपड़ों मांग पर छपी होती हैं, छपाई की प्रक्रिया में कम बर्बादी होती है। यह पर्यावरण के लिए बेहतर है और लेखकों और प्रकाशकों (Publishers) के लिए (financial) वित्तीय जोखिम भी कम करता है।
5.Faster turnaround times (तेज़ मुड़ाव समय):
POD के साथ, पुस्तकों को छपाई किया जा सकता है और पारंपरिक Print विधियों की तुलना में बहुत तेज़ी से Delivered किया जा सकता है। इसका मतलब यह है कि लेखक अपने काम को दुनिया में और अधिक तेज़ी से निकाल सकते हैं और जल्द ही बिक्री करने के बदले Designer मिलने वाली राशि (पैसे) उत्पन्न करना शुरू कर सकते हैं।
Disadvantage of Print on Demand (प्रिंट ऑन डिमांड के नुकसान):
जहां प्रिंट ऑन डिमांड तकनीक का उपयोग करने के कई फायदे हैं, वहीं ये भी हैं